23% लोग सुबह उठकर ताजगी महसूस नहीं करते, थकान और आलस्य में बीत रहा दिन, जानिए ऐसा क्यों..?

दिल्ली ब्यूरो 

कहीं आप मोबाइल की लत के शिकार तो नहीं हो गए हैं। क्या आप भी सुबह उठने पर खुद को तरोताजा महसूस नहीं कर रहे। क्योंकि सुबह उठने वाले 23 फीसदी लोग ताजगी महसूस नहीं कर रहे। उनका पूरा दिन थकान व आलस में जा रहा है। इसका सीधा प्रभाव उनके रोजमर्रा के कार्य और भविष्य पर पड़ रहा है। अगर आप में भी यह लक्षण हैं तो आज से ही मोबाइल का इस्तेमाल कम कर दीजिये। नहीं तो यह भविष्य में घातक साबित हो सकता है। आईजीएमसी के एक सर्वे के मुताबिक सोने से पहले 76 फीसदी लोग मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस लत का नींद पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसमें 18 से 60 साल के उम्र के लोग शामिल हैं।

नींद जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करती है। शोध से पता चला है कि जब हम सोते हैं, तब हमारे शरीर में ऊतकों की मरम्मत होती है। मस्तिष्क अपनी स्मृतियों को संग्रहीत करता है। सीडीसी के अनुसार वयस्कों को रात में 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया तो नींद की कमी से तनाव, मोटापा, और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

सोने से पहले 23 फीसदी लोग पढ़ते किताब
शिमला में एक क्रॉस सेक्शनल अध्ययन में 408 वयस्कों को सर्वे में शामिल किया गया। आईजीएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक प्रो. डॉ. अमित सचदेवा ने बताया कि इस सर्वे के अनुसार, सोने से पहले 23 फीसदी लोग किताब पढ़ते हैं। 76.5 फीसदी लोग सोने से पहले मोबाइल, 31.6 फीसदी लोग टीवी देखते हैं। 58.3 फीसदी लोग खाना खाने के 2 घंटे में सोते हैं। 2.9 फीसदी लोग नींद की गोलियों का उपयोग करते हैं।

छह घंटे से कम नींद लेते हैं 9.5 फीसदी लोग
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि 83.1 फीसदी लोग 6-8 सोते हैं। 9.5 फीसदी लोग छह घंटे से कम सोते हैं। 92.7 फीसदी लोग दिन में कम से कम दो घंटे मोबाइल, लैपटॉप या टीवी का उपयोग करते हैं, जोकि नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
नींद को प्रभावित करने वाले मुख्य कारण
कार्य और परिवार की चिंताएं, अनियमित भोजन व देर रात तक जागना नींद के पैटर्न को प्रभावित करते है। भारत में नींद की आदतें चिंताजनक हैं। ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड 2024 से पता चला है कि 61 फीसदी भारतीयों को 6 घंटे से कम निर्बाध नींद मिलती है। 59 फीसदी रात ग्यारह बजे के बाद सोते हैं। 43 फीसदी युवा भविष्य की चिंता में रातभर जागते हैं, जोकि नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

नींद की गुणवत्ता सुधारने के यह हैं उपाय
हर दिन एक निश्चित समय पर सोएं व उठें। सोने से पहले मोबाइल व टीवी से दूरी बनाएं, क्योंकि ब्लू लाइट मस्तिष्क को सतर्क रखती है। रात को कैफीन और अल्कोहल का सेवन कम करें, क्योकि ये नींद को बाधित करते हैं। नियमित व्यायाम करें, लेकिन रात को परहेज रखें, क्योंकि यह शरीर को सतर्क रखता है। ध्यान और योग करें। यह तनाव कम करता है और नींद को बढ़ा देता है।

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