वक्फ संशोधन विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

नई दिल्ली. भारत की संसद में लंबी बहस और तीखे विरोध के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को एक ऐतिहासिक कानून के रूप में स्वीकृति मिल गई. शनिवार, 6 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी, जिसके साथ ही यह औपचारिक रूप से कानून बन गया.

गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर अब यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995 हो गया है. यह नया नाम इस कानून के उद्देश्यों—प्रबंधन में एकरूपता, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास—को स्पष्ट रूप से दर्शाता है.

मुस्लिम समुदाय का विरोध

इस विधेयक को संसद के बजट सत्र में पारित किया गया था. लोकसभा में 3 अप्रैल की सुबह और राज्यसभा में 4 अप्रैल की सुबह हुई मतदान प्रक्रिया में इसे मंजूरी मिली. लोकसभा में 520 में से 288 सांसदों ने इसके पक्ष में और 232 ने विरोध में वोट दिया, जबकि राज्यसभा में 128 सांसदों ने समर्थन और 95 ने विरोध किया. यह कानून बनने की प्रक्रिया तब और चर्चा में आई जब विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किए. फिर भी, सरकार ने इसे पारित कराने में सफलता हासिल की.

क्या है नए कानून में?

नए कानून का मूल मकसद वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग, पक्षपात और अतिक्रमण को रोकना है. सरकार का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी और कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है. इसमें कई अहम प्रावधान शामिल किए गए हैं, जैसे वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं की नियुक्ति, संपत्तियों का डिजिटलीकरण, कलेक्टर को सर्वेक्षण का अधिकार देना और ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की सुविधा. इन बदलावों को सरकार ने पारदर्शिता और बेहतर प्रशासन की दिशा में एक कदम बताया है.

Leave a Comment

और पढ़ें

Rashifal

और पढ़ें

error: Content is protected !!