श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति का बड़ा फैसला, धाम समेत इन शब्दों का कराएगी पेटेंट, यह है कारण

पुरी. ओडिशा के पुरी स्थित 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. समिति ने सोमवार को मंदिर से जुड़े कुछ विशिष्ट शब्दों और लोगो का पेटेंट कराने का निर्णय लिया है. यह फैसला पश्चिम बंगाल के साथ दीघा मंदिर को धाम नाम देने को लेकर चल रहे विवाद के बीच लिया गया है.

पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब की अध्यक्षता में हुई एसजेटीएमसी की बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई. बैठक में ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढी, पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन और पुरी के पुलिस अधीक्षक विनीत अग्रवाल समेत कई पदेन सदस्य शामिल थे.

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए एसजेटीए के मुख्य प्रशासक पाढी ने बताया कि एसजेटीए जल्द ही महाप्रसाद (भोग), श्रीमंदिर (मंदिर), श्री जगन्नाथ धाम (स्थान), श्रीक्षेत्र (स्थान) और पुरुषोत्तम धाम (स्थान) जैसे शब्दों के पेटेंट के लिए आवेदन करेगा. उन्होंने बताया कि एसजेटीएमसी द्वारा इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर दिया गया है.

पाढी ने जोर देते हुए कहा कि जगन्नाथ मंदिर से संबंधित इन विशिष्ट शब्दों और लोगो का पेटेंट कराना मंदिर की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि यह कदम 12वीं शताब्दी की इस मूल आध्यात्मिक पहचान के दुरुपयोग और इसकी शब्दावली के अनधिकृत इस्तेमाल को रोकने में सहायक होगा. जगन्नाथ धाम शब्द के कथित दुरुपयोग को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के साथ जारी विवाद पर पाढी ने कहा कि इस मामले का समाधान दोनों राज्य सरकारें आपस में मिलकर करेंगी.

बैठक की अध्यक्षता कर रहे गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने स्पष्ट रूप से कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार दीघा स्थित अपने मंदिर के लिए जगन्नाथ धाम शब्द का उपयोग नहीं कर सकती है. उन्होंने इसे हिंदू धर्मग्रंथों और भगवान जगन्नाथ की सदियों पुरानी परंपरा के खिलाफ बताया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को दो राज्य सरकारों के बीच सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए

Leave a Comment

और पढ़ें

Rashifal

और पढ़ें

error: Content is protected !!