कटक। उड़ीसा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई डॉक्टर किसी खास दवा कंपनी की दवा लिखता है, तो उसे अपराधी नहीं माना जा सकता। यह नियम कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए है। लेकिन, यह नियम तभी लागू नहीं होगा जब दवा खतरनाक, घटिया या सरकार की ओर से प्रतिबंधित हो। जस्टिस आदित्य कुमार मोहपात्रा की बेंच ने यह भी कहा कि अगर दवा कंपनी को फायदा होता है, तो इसे सरकार को गलत तरीके से फायदा पहुंचाना या नुकसान पहुंचाना नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने डॉ. रवींद्र कुमार जेना के खिलाफ विशेष जज (विजिलेंस), कटक के सामने चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
जस्टिस मोहपात्रा ने कहा, ‘अगर इस तरह की कार्यवाही को बढ़ावा दिया जाता है, तो कोई भी डॉक्टर डर के बिना मरीजों का इलाज नहीं करेगा। वे उपलब्ध सबसे अच्छे इलाज (दवाओं सहित) के अनुसार काम नहीं कर पाएंगे।’
2017 में दर्ज हुआ था केस
डॉ. जेना 2013 से 2017 तक SCB मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, कटक में हेमेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख थे। राज्य सतर्कता विभाग ने 12 दिसंबर 2017 को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। यह केस एसके सामल DSP सतर्कता सेल ने दर्ज कराया था।
डॉ. जेना पर थे ये आरोप
आरोप था कि डॉ. जेना ने विभिन्न दवा कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया। उन पर ओडिशा स्टेट ट्रीटमेंट फंड (OSTF) के नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया था। OSTF ओडिशा सरकार द्वारा गरीब मरीजों को कैंसर और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बनाया गया था। आरोप है कि डॉ. जेना ने मरीजों को सस्ती दवा के बजाय महंगी कीमोथेरेपी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया। डॉ. जेना ने 2024 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आपराधिक कार्यवाही को चुनौती दी थी।
