महाराष्ट्र के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य

मुंबई. महाराष्ट्र के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र तीन भाषा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. हालांकि, राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इसका कड़ा विरोध किया है और आंदोलन की चेतावनी दी है.

राज्य के प्राइमरी स्कूलों (कक्षा 1 से 5 तक) में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले का विरोध सिर्फ राजनीतिक दलों तक सीमित नहीं रहा है. राज्य की कई शैक्षणिक संगठनों ने भी इस निर्णय पर ऐतराज जताया है.

शैक्षणिक संगठनों ने किया विरोध

मराठी अभ्यास केंद्र, महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक प्रिंसिपल संघ, आम्ही शिक्षक सोशल संगठन, महाराष्ट्र राज्य शिक्षण संस्था महामंडल, महाराष्ट्र प्रोग्रेसिव टीचर्स असोसिएशन और राज्य कला शिक्षक संघ जैसे संगठनों ने एकजुट होकर स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है और इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है.

पहले उत्तर भारत में मराठी पढ़ाई जाए

शिक्षा संगठनों ने अपने पत्र में कहा है, जब तक उत्तर भारत के राज्य अपने स्कूलों में मराठी या द्रविड़ भाषा को अनिवार्य नहीं करते, तब तक महाराष्ट्र में भी हिंदी को अनिवार्य नहीं करना चाहिए. हमें लगता है कि उत्तर भारतीयों को मराठी सीखना ज्यादा जरूरी है, बजाय इसके कि महाराष्ट्र में हिंदी सिखाई जाए.

देश की भाषाएं आना जरूरी : फडणवीस

इस विवाद के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, हम नई शिक्षा नीति को लागू कर रहे हैं जिसके तहत हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यहां हर कोई मराठी के साथ-साथ देश की अन्य भाषाओं को भी सीखे. मराठी के साथ ही देश की अन्य भाषाएं भी आनी चाहिए. मुझे लगता है कि यह केंद्र सरकार के विचार को साकार करने के लिए है, जिसमें पूरे देश में एक संपर्क भाषा होनी चाहिए. इस लिहाज से यह निर्णय लिया गया है. हमने पहले ही राज्य में मराठी भाषा अनिवार्य की है, लेकिन इसके साथ ही हर कोई अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भाषाएँ सीख सकता है.

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