नई दिल्ली. वक्फ संशोधन कानून पर आज सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून पर जवाब देने के लिए 7 दिन का वक्त दिया है. सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में जवाब देना होगा. अगली सुनवाई 5 मई को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ दायर 70 याचिकाओं की जगह सिर्फ 5 याचिकाएं ही दायर की जाएं. उन्हीं पर सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 110 से 120 फाइलें पढऩा संभव नहीं हैं. ऐसे में ऐसे 5 बिंदु तय करने होंगे. सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई होगी. सभी याचिकाकर्ता मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएं. नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय करें. सीजेआई संजीव खन्ना व जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं.
वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह ने दलीलें रखी. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है. उसे वक्फ मुद्दे के बारे में कई ज्ञापन मिले हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे गांव और बड़ी मात्रा में जमीन को वक्फ घोषित कर दिया गया है. जिससे यह एक महत्वपूर्ण विधायी मामला बन गया है.
मेहता ने तर्क दिया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा. अदालत से अनुरोध किया कि वह सहायक दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दें, जिसमें कहा गया कि मामले पर विस्तृत विचार की आवश्यकता है. केंद्र के जवाब का प्रत्युत्तर पांच दिनों के भीतर दाखिल किया जाएगा और सुनवाई मई में शुरू होने वाली है. सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर रोक नहीं लगाई है लेकिन केंद्र के इस आश्वासन को रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है कि संशोधित अधिनियम के तहत फिलहाल केंद्रीय वक्फ परिषद या वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी.
सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि मूल 1995 अधिनियम के तहत पहले से ही वक्फ घोषित संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी. सीजेआई ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 व इसके 2013 संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को इस बैच से अलग सूचीबद्ध किया जाएगा. 2025 के मामले के संबंध में रिट दायर करने वाले याचिकाकर्ता विशेष मामले के रूप में अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं. सीजेआई ने कहा कि पक्षों के बीच इस बात पर आम सहमति है कि किन याचिकाओं को मुख्य मामलों के रूप में माना जाएगा. अन्य याचिकाओं को उन मुख्य मामलों के अंतर्गत आवेदनों के रूप में माना जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाएं आज भी दायर की जा रही हैं.