मोतिहारी (बिहार). पुलिस ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के नाम पर चल रहे एक फर्जी ट्रेनिंग सेंटर का पर्दाफाश किया है. इस मामले में मुजफ्फरपुर से 200 करोड़ रुपये के संदिग्ध ट्रांजेक्शन की बात सामने आई है, जबकि गोरखपुर से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह घटना बिहार में अपराध के नए-नए तरीकों को उजागर करती है, जहां बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर ठगा जा रहा है. खुलासा मोतिहारी में फर्जी ट्रेनिंग सेंटर से हुआ है.
पिछले महीने, पूर्वी चंपारण जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि भटहां गांव में एक फर्जी रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ट्रेनिंग सेंटर संचालित हो रहा है, जो युवाओं को में नौकरी दिलाने का दावा करता है. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छापेमारी की और सेंटर से कई आपत्तिजनक सामान बरामद किए. इनमें एक ऑटोमेटिक पिस्तौल, 14 जिंदा कारतूस, दो मैगजीन, एक लैपटॉप, एक कैमरा, आरपीएफ की वर्दी, और फर्जी प्रमाणपत्र शामिल हैं.
छापेमारी के दौरान एक आरोपी, सन्नी कुमार, जो भटहां गांव का ही निवासी है, को गिरफ्तार किया गया. हालांकि, इस गिरोह का सरगना मौके से फरार होने में कामयाब रहा. पुलिस के मुताबिक, यह सेंटर पिछले कई महीनों से चल रहा था और सैकड़ों युवाओं से मोटी रकम वसूल की जा चुकी थी. प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह गिरोह बेरोजगार युवाओं को आरपीएफ में सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल की नौकरी का लालच देकर उनसे लाखों रुपये ऐंठता था.
इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब पुलिस ने सन्नी कुमार से पूछताछ के आधार पर मुजफ्फरपुर में एक बड़े वित्तीय लेन-देन की जानकारी हासिल की. जांच में पता चला कि इस फर्जी ट्रेनिंग सेंटर से जुड़े खातों में लगभग 200 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह रकम विभिन्न बैंकों के खातों में फैली हुई थी और इसका इस्तेमाल न केवल बिहार, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी संदिग्ध गतिविधियों के लिए किया जा रहा था.