इंदौर ब्यूरो
पति से अलग रह रही पत्नी द्वारा भरण पोषण राशि प्राप्त करने को लेकर फैमिली कोर्ट में लगी याचिका पर अनोखा फैसला हुआ है। कोर्ट ने एक तरफ तो माना कि पत्नी स्वयं का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं है और पति अपनी पत्नी का भरण पोषण करने में उपेक्षा कर रहा है लेकिन दूसरी तरफ यह भी माना की पत्नी के पास अपने पति से अलग रहने का कोई पर्याप्त वैधानिक कारण नहीं है। इस कारण उसे भरण पोषण राशि लेने का अधिकार भी नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पत्नी द्वारा पेश आवेदन निरस्त कर दिया।
वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे, रुपाली राठौर ने बताया कि गौरी नगर निवासी पत्नी (परिवर्तित नाम) सुलोचना का विवाह वर्ष 2013 में (परिवर्तित नाम) पति अमन से हुआ था। वर्ष 2022 में सुलोचना ने पति के विरुद्ध विवाह के बाद से ही कम दहेज लाने को लेकर ताने मारना, मारपीट करना, खर्च न उठाने की पुलिस थाने में शिकायत की थी। थाने में यह भी कहा था कि पति ने घर से निकाल दिया। थाने की शिकायत के आधार पर पत्नी ने भरण-पोषण की मांग करते हुए फैमली कोर्ट में केस लगाया था।
पति के वकील की तरफ से कोर्ट में यह पक्ष रखा गया कि पति ने पत्नी को अपना एटीएम कार्ड दे रखा था। पत्नी ने विवाह के आठ साल बाद शिकायत की। पहले कभी शिकायत नहीं की गई। उधर पुलिस ने पत्नी का शिकायती आवेदन लिया,लेकिन पति के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया। इस मामले में पत्नी की तरफ से अपने बयानों में स्पष्टीकरण नहीं देने पर कोर्ट ने पत्नी द्वारा पैसों के लिए पति द्वारा परेशान करने के बयानों को संदेहपूर्ण माना।
कोर्ट ने कहा कि पत्नी खुद और बच्चों के भरण पोषण में सक्षम नहीं है और पति भरण-पोषण नहीं कर रहा है, लेकिन पत्नी के पास पति से अलग रहने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। इस कारण पत्नी को भरण-पोषण राशि देने के लिए वह बाध्य नहीं है। कोर्ट ने नाबालिग बच्चों को भरण-पोषण दिलवाया, लेकिन पत्नी का आवेदन निरस्त कर दिया।