सागर में भाजपा विधायकों की स्थिति दयनीय, प्रशासन की नजरअंदाजी ठीक नहीं..!

सागर ब्यूरो 

सागर में भाजपा विधायक इतने असहज क्यों हैं, मोहन सरकार में उनकी बातों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया जा रहा है, यह चिंतन का विषय है। एक तरफ नरयावली विधायक प्रदीप लारिया मकरोनिया क्षेत्र में अवैध शराब, जुआं सट्टा से तंग आ चुके हैं। अनेक बार पुलिस को आवेदन देने के बाद उनकी मांग को तरजीह नहीं दी जा रही है। दूसरी तरफ जिले की देवरी विधानसभा से भाजपा विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने गुरुवार देर रात विधायकी छोड़ने की पेशकश की है। उन्होंने विधायकी छोड़ने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। साथ ही केसली थाने में धरने पर बैठ गए है।

पटेरिया अपने क्षेत्र के एक पीड़ित पक्ष और समर्थकों के साथ डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग कर रहे थे। एफआईआर नहीं होने पर उन्होंने विधानसभा के विधायक पद से इस्तीफा लिख दिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। मामला सामने आते ही पुलिस अधिकारी केसली थाने पहुंचे हैं। जहां बातचीत का दौर जारी है।
उन्होंने अपने इस्तीफे के पत्र में लिखा कि उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों के प्रति न्याय न मिलने की वजह से आहत महसूस हो रहा है।

देवरी विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने बताया कि सर्पदंश से व्यक्ति की मौत हुई थी। पीएम रिपोर्ट के नाम पर डॉक्टर ने पैसों की मांग की। पैसे नहीं दिए तो डॉक्टर ने रिपोर्ट में सर्पदंश नहीं लिखा। एसपी, एसडीओपी, टीआई से बात कर मामले की जानकारी दी। एफआईआर कर मामले की जांच कराने के लिए कहा। लेकिन एफआईआर नहीं हुई। थाने आया तो वह कई नियम बता रहे हैं। जब निर्वाचित विधायक के खिलाफ एफआईआर हो सकती है तो डॉक्टर के खिलाफ क्यों नहीं? ऐसा निर्वाचित विधायक होने का कोई मतलब नहीं है। यदि विधायक को थाने में एफआईआर कराने खुद आना पड़े और न लिखी जाए तो इससे शर्मसार करने वाली बात क्या हो सकती है। वह भी सत्ता पक्ष का विधायक। मैंने इस्तीफा दे दिया है। ऐसी विधायकी मुझे नहीं करना है। सवाल यह है कि प्रशासन इतना हावी क्यों है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को मुंह की खानी पड़ रही है।

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