जबलपुर ब्यूरो
सीबीआई की जांच में अपात्र पाए गए नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में शामिल करने की अनुमति मिल गई है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है छात्र स्नातक नहीं हैं। सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। छात्रों को एक अवसर प्रदान करते हुए परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी किए हैं। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि छात्र परीक्षा उत्तीर्ण नहीं करते हैं तो उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया जाए। परीक्षा उत्तीर्ण करने पर वे आगे के लिए प्रात्र माने जाएंगे।
गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए थे। सीबीआई की तरफ से 308 कॉलेज की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई थी। सीबीआई ने बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किए हैं। सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कॉलेज पात्र पाए गए हैं। जबकि 74 नर्सिंग कॉलेज ऐसे पाए गए जो मानकों को तो पूरा नहीं करते हैं, किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है तथा 65 कॉलेज आयोग्य पाए गए है। युगलपीठ ने अपने आदेश में अपात्र पाए गए कॉलेजों को किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया था। इन कॉलेजों के छात्रों को किसी अन्य कॉलेजों में समायोजित नहीं करने की बात भी कही थी।